बुधवार, 31 जुलाई 2013

मैत्री के रंगों की होली २८ . २ . २०१०

मैत्री के रंगों की होली

उड़ा अबीर मला गुलाल ,
हुआ सारा जग लालम लाल
गुजिया , मठरी की बहार ,
स्नेह-मिलन का है त्योहार .

आई है रंगों की होली ,
छुट्टी विद्यालय में हो ली ,
निकली घर से बच्चों की टोली ,
लिए हाथ रंगों की थैली.

लाल - हरे-गुलाबी-नीले,
कितने देखो रंग चमकीले
पिंकी शिंकी आशु राजु
सारे बच्चे आजु-बाजु

रंगों की भर-भर पिचकारी
सबनें इक दूजे पे मारी
रंग गए हैं सबके कपडे
लाल-गुलाल भरे हैं चेहरे

शिंकी पूछे आशु से ,
पिंकी! राजू हैं कौन से ?,
नहीं पहचान में आ रहे,
मैत्री के रंगों से रंगे हुए .

जग में सबको मित्र बनाएं ,
आपस में न लडे-लड़ाएं,
मेरा-तेरा ,भेद भाव मिटाए
"मंजू "संदेश प्रेम का होली लाए

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