05 जुलाई 2010
नाव चली
नाव चली
काले बादल नभ में छाए
ढम -ढम -ढम- ढम शोर मचाए
देखो सूरज ! भी नजर न आए
दिन में भी अँधेरा छाए ।
मौसम ने भी करवट ली
सर -सर -सर - सर हवा चली
रिमझिम -रिमझिम वर्षा हुई
नदी - नालों में पानी भरे ।
नाव को ले कर बच्चे निकले
नाव पानी में तैराई रे
छप - छप -छप -छप नाव चली
देख इसे सब हर्षाए रे ।
- मंजू गुप्ता
3 जन ने कहा है:
एक सुंदर रचना , बधाई
मेरा हौसला बढाने के लिए धन्यवाद .