उड़ा है अबीर मला गुलाल ,
हुआ शहर , नगर, गाँव लाल ,
गुजिया, मठरी की आई बहार ,
मिठाई का होली है त्यौहार .
आई है रंगों की होली ,
स्कूल से मिल गई छुट्टी ,
निकली बच्चों की घर से टोली ,
लाए हाथों में रंगों से भरी थैली .
लाल -पीले - हरे-गुलाबी-नीले,
घोला रंग पिंकी, शिनकी,राजू, आशु ने ,
भर -भर मारी पिचकारी एक दूजे पे,
हुए सब के चेहरे -कपड़े बदरंगे .
शिनकी पूछे आशु से ,
पिंकी! राजू !हैं कौन से,
नहीं पहचान में आ रहे,
मैत्री के रंगों से ये रंगे हुए .
जग में सबको मित्र बनाए ,
आपस में कभी न लडे-लड़ाए,
अपना -पराया ,भेद भाव मिटाए
"मंजू "संदेश प्यार का होली लाए
-मंजू गुप्ता
बुधवार, 24 फ़रवरी 2010
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बहुत सुन्दर कविता है. होली की असीम शुभकामनायें.
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