बुधवार, 31 जुलाई 2013

मोर ६. ४ . २०१०


मोर ६. ४. २०१० 

काले काले बादल छाए ,
धडाधड शोर हैं मचाएँ ,
घनघोर घटाएँ हैं गाएँ ,
मौसम सुहाना है लाए ।

मोर को मौसम भाया रे ,
पंखों को फैलाया रे ,
मोरनी ने गीत गाया रे ,
घूमकर मोर नाचा रे ।

नीले , हरे सुनहरे पंख ,
देखकर बच्चे हुए दंग ,
कितने सुंदर पंख व नाच ,
मन ख़ुशी से नाचा आज ।

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