मंगलवार, 15 सितंबर 2015

सहज साहित्य: आखर -आखर पढ़ मुझे

सहज साहित्य: आखर -आखर पढ़ मुझे

सहज साहित्य: आखर -आखर पढ़ मुझे

सहज साहित्य: आखर -आखर पढ़ मुझे



4-मंजु गुप्ता


दोहों की धड़कनों में हिंदी 

हिन्दी  की धड़कनों में बहे व्याकरण  धार। 
रस छंद अलंकार हैं कविता के  शृंगार।  

2
हिन्दी  अब वैश्विक हुई भारत  की पहचान।
विज्ञापन से बढ़ रही हिन्द की शक्ति - शान।   

3
अहिन्दी भाषी वास्ते किया इसे आसान।
राजभाषा हेतु गढ़ा सरल हिन्दी  विधान। 

4
एकता की भाषा है है राष्ट्र की जान।
चुनौतियों में चमकती हिन्दी  की पहचान। 

5
बसते कबीर - सूर के  हिन्दी  में हैं  प्राण।
जिस पर रीझ के मीरा नाची गा  के श्याम। 

सहज साहित्य: आखर -आखर पढ़ मुझे

सहज साहित्य: आखर -आखर पढ़ मुझे


4-मंजु गुप्ता
1  दोहों की धड़कनों में हिंदी 
हिन्दी  की धड़कनों में बहे व्याकरण  धार। 
रस छंद अलंकार हैं कविता के  शृंगार।  
2
हिन्दी  अब वैश्विक हुई भारत  की पहचान।
विज्ञापन से बढ़ रही हिन्द की शक्ति - शान।   
3
अहिन्दी भाषी वास्ते किया इसे आसान।
राजभाषा हेतु गढ़ा सरल हिन्दी  विधान। 
4
एकता की भाषा है है राष्ट्र की जान।
चुनौतियों में चमकती हिन्दी  की पहचान। 
5
बसते कबीर - सूर के  हिन्दी  में हैं  प्राण।

जिस पर रीझ के मीरा नाची गा  के श्याम।