शुक्रवार, 9 अक्तूबर 2015

मुक्तक

प्रेषिका -  मंजु गुप्ता 
वाशी , नवी मुम्बई .
भारत . 
मुक्तक 

माँ ! दिल मेरा न  तोड़ना 
 गलत राह पर न मोड़ना 
 कृपा मुझ पर बरसा के 
 रिश्ता ' मंजु ' से जोड़ना .   १ 


तेरे  द्वार  से खाली ना  जाऊँ 
आस्था का अंखड  दीप जलाऊँ
मँझधार में   नैय्या है  डोल रही 
कर कृपा माँ ! जीवन पार लगाऊँ . २ 

माँ ! जगत स्वार्थ के नशे में  चूर 
इंसान अब इंसानियत से दूर 
करती तुम सबके मनोरथ पूर्ण 
वर दे मुझको  ज्ञान - विवेक जरूर . 

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