प्यारी लाडली लवली
असीम अपरिमित अनंत प्यार .
पर्वों का पर्वराज वर्षगांठ की सुनहरी पावन तारीख २१ सितबर के स्वर्णिम सुअवसर पर परिवार - समाज जग की ओर से प्रत्यक्ष - अप्रत्यक्ष
रूप से जुड़े जन - मन की ओर से हार्दिक बधाई प्रेषित कर रही हूँ .
शब्दों को गूँथ कर उपहार गजल का प्रेषित कर रही हूँ .
नई सुबह की आशीषें
षोडशोपचार गाती नई सुबह आई
पर्व जन्म दिन मनाने माँ - पिता शुचि आई .
स्वागत में नवरंग - रस से शुभ दिन सजा
नभ ने भी आशीषों की झड़ी लगाई .
महके जीवन का पल - पल खुशियों से
रहेगी सदा साथ ममता कई परछाई .
निवाए हाथों से जब खिलाती बचपन
अनुगूँज किलकारियां दूर करे तन्हाई .
नहीं आय ककहरा सिखाती कई बार
बनी डॉक्टर लिए शिक्षा की गहराई .
सुनहरी रश्मियाँ दुआओं के शहर में
ऊँचाइयां उजाले की लेकर आई .
लिए प्रेम रंग चाहत रंगने आया
सिंधु आरजू में चम्पई मुस्कान छाई .
अनुराग को इक दिन बिछडना पड़ता
लिखते - लिखते आँखें आज छलछलाई .
वर्षा रहा ढेर आशीर्वाद हर वरद हस्त
' मंजु ' ' सदा सुखी रहो ' गाए शाहनाई .
अनंत मंगल कामनाओं के साथ -
माँ
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