शनिवार, 21 सितंबर 2013

नई सुबह की आशीषें

प्यारी लाडली लवली 

असीम अपरिमित अनंत प्यार .


पर्वों का पर्वराज वर्षगांठ की सुनहरी पावन तारीख २१ सितबर के स्वर्णिम सुअवसर पर परिवार - समाज जग की ओर से प्रत्यक्ष - अप्रत्यक्ष 

रूप से जुड़े जन - मन की ओर से  हार्दिक बधाई प्रेषित कर रही हूँ .

शब्दों को गूँथ कर उपहार गजल का प्रेषित कर रही हूँ .

नई सुबह की आशीषें 

षोडशोपचार गाती नई सुबह आई 

पर्व जन्म दिन मनाने माँ - पिता शुचि आई . 

स्वागत में नवरंग - रस से शुभ दिन सजा 

नभ ने भी आशीषों की झड़ी लगाई .

महके जीवन का पल - पल खुशियों से 

रहेगी सदा साथ ममता कई परछाई . 

निवाए हाथों से जब खिलाती बचपन 

अनुगूँज किलकारियां दूर करे तन्हाई .

नहीं आय ककहरा सिखाती कई बार 

बनी डॉक्टर लिए शिक्षा की गहराई . 

सुनहरी रश्मियाँ दुआओं के शहर में 

ऊँचाइयां उजाले की लेकर आई .

लिए प्रेम रंग चाहत रंगने आया 

सिंधु आरजू में चम्पई मुस्कान छाई .

अनुराग को इक दिन बिछडना पड़ता

लिखते - लिखते आँखें आज छलछलाई .

वर्षा रहा ढेर आशीर्वाद हर वरद हस्त 

' मंजु '  ' सदा सुखी रहो ' गाए शाहनाई . 

अनंत मंगल कामनाओं के साथ - 

माँ 

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