हाइकु
मंजु गुप्ता
१
आपदाओं के
कहर से थर्राया
भू , जल , नभ ।
२
किसानी रोती
सूखाग्रस्त गाँवों में
फसलें जली ।
३
लीला प्रभु की
कहीं बाढ़-अकाल
सन्नाटा लाता ।
४
कुंभ नगरी
में लगा महाकुंभ
कई रंगों में ।
५
आस्था का गोता
भेदभाव की भित्ति
को भेद देता ।
५
प्रयाग तट
दिव्य रिद्धी- सिद्धि से
संक्रम होता ।
६
अमृत कुंभ
विविधता के सूत्र
बांधें ऐक्य में ।
७
कुंभ उडेले
समता का सागर
धड़कनों में ।
८
कुंभ का पर्व
जोड़ता मानव को
प्रभु सत्ता से ।
९
कुंभ की शिक्षा
रिश्ता मानवता का
जोड़े जग से ।
१०
साधु- संतों में
तप की बहे धारा
कुंभ पर्व में ।
११
कुंभ जग में
एकात्मदर्शन का
है सच्चा साक्षी ।
११
कुंभ नहान
मन के पाप धोता
मोक्ष मिलता ।
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