प्रथम सर्ग
जल -धरा -हवा -आकाश - आग
जीवन के ये सारे हैं महातत्व
चलता इनसे चेतना में प्राण
प्रभु !बुद्धि का भर दो भंडार ।
करो कृपा हम पर करतार
दे दो बल - विद्या - ज्ञान अपार
स्पर्श -रूप -रस - गंध -शब्द से
हो जीवन में नव विद्या निर्धार ।
प्रभु ! अर्ज हमारी हो स्वीकार
न हो जीवन में ज्ञान अभाव
करें जग हितकर में सब काम
अहितकर में बुद्धि करे विराम ।
रविवार, 21 मार्च 2010
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salaam hai bahagt singh lo
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