गुरुवार, 20 नवंबर 2014

शादी की साल गिरह आ गई फिर एक बार 

सजना संग खुशियाँ रहेगी बरकरार .

सजे हैं घर , नगर के गलियारे

सजे हैं सोलह श्रृंगार सारे .

लाली सुहाग ने किया करार 

खिलेगी सिंदूर से सदा बहार .


शादी की साल गिरह आ गई फिर एक बार 

सजना संग खुशियाँ रहेगी बरकरार .


टीका , बिंदिया पी से हुए निहाल 

घटा का काजल इश्क का कहे हाल . 

प्रीत गजरा महका रहा खुमार 

धड़कनें धड़के ले के पयार 

शादी की साल गिरह आ गई फिर एक बार 

सजना संग खुशियाँ रहेगी बरकरार .

लाली लवों की करे लालमलाल 

हिना ने रंग दिए दिल लाल लाल .

नग अँगूठी में दिखे पी की मुरत 

प्रेम नगर में रंगी आज कुदरत .

खन खन चुड़ियां मिलन का करें शोर 

पायल , बिछया पर चले न जोर .

जश्ने इश्क का मंजु हुआ इजहार 

दुलारी दुआएँ गाए दिलदार .

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें