प्रेषिका - मंजु गुप्ता
वाशी , नवी मुम्बई .
भारत .
मुक्तक
माँ ! दिल मेरा न तोड़ना
गलत राह पर न मोड़ना
कृपा मुझ पर बरसा के
रिश्ता ' मंजु ' से जोड़ना . १
तेरे द्वार से खाली ना जाऊँ
आस्था का अंखड दीप जलाऊँ
मँझधार में नैय्या है डोल रही
कर कृपा माँ ! जीवन पार लगाऊँ . २
माँ ! जगत स्वार्थ के नशे में चूर
इंसान अब इंसानियत से दूर
करती तुम सबके मनोरथ पूर्ण
वर दे मुझको ज्ञान - विवेक जरूर .